बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा के गुरुर को तोड़ने के लिए अचानक से अपना इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस व राजद के साथ मिलकर सरकार बनाने का दावा भी प्रस्तुत कर दिया।
दूसरी तरफ भाजपा के नेता और गोदी मीडिया सकते में हैं उन्हें समझ नहीं आ रहा कि यह क्या हो गया। कोई नीतीश कुमार द्वारा किये गए इस कार्य के लिए कह रहा है कि नीतीश कुमार ने बिहार की जनता के जनादेश का अपमान किया है, यहां तक कि गोदी मीडिया ने एकसुर में राग अलापना शुरू कर दिया है कि नीतीश कुमार पलटीमार हैं। क्योंकि वे कभी भाजपा के साथ हो जाते हैं कभी विपक्ष के साथ।
लेकिन भाजपा के बढ़ते गुरुर और लोकतंत्र विरोधी नीतियों को देखते हुए अब लग रहा है कि नीतीश कुमार ने लोकतंत्र की रक्षा ही की है। भाजपा ने जहां मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में मिशन लोटस के लिए जनादेश की धज्जियाँ उड़ा दीं और विधायकों को खरीदकर अपनी सरकार खड़ी कर दी उस समय गोदी मीडिया भी खुश नजर आ रही थी और किसी को भी इसमें गलत नजर नहीं आया।
भाजपा को लगता है कि ईडी व सीबीआई का डर दिखाकर वह देश में कुछ भी मनमानी कर सकती है। लेकिन नीतीश कुमार ने भाजपा को कुछ सोचने का मौका ही नहीं दिया।