गुजरात ने बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 कैदियों को क्यों किया रिहा?
Bilkis Bano gang rape case: 2002 में गुजरात में बिलकिस बानो के साथ हुए गैंगरेप और उसके परिवार की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पाए सभी 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया है। सभी दोषियों को 2008 में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।
गुजरात सरकार द्वारा यह फैसला लिया गया है। बिलकिस बानो के साथ जब गैंगरेप किया गया था, उस समय वो 5 महीने की गर्भवती थीं।
- बिलकिस बानो केस के सभी दोषी रिहा हुए
- 2008 में कोर्ट ने सुनाई थी उम्रकैद की सजा
- गुजरात सरकार ने दोषियों को रिहा किया
ये सभी दोषी 15 साल से ज्यादा लंबे समय से जेल में बंद थे।
2002 में गुजरात गोधरा कांड दंगों के बाद बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप हुआ था इसके साथ ही हमलावरों ने उसके परिवार के 7 लोगों की हत्या भी कर दी थी। इस मामले में 2008 में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इन दोषियों में से एक ने रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। कोर्ट ने रिहाई का फैसला गुजरात सरकार पर छोड़ दिया था।
अब गुजरात सरकार ने रिहाई का निर्णय ले लिया और उसके इस फैसले की आलोचना भी हो रही है. ह्यूमन राइट्स के वकील शमशाद पठान ने न्यूज एजेंसी को बताया कि बड़ी संख्या में कई दोषी अभी भी जेल में बंद हैं, जिन्होंने बिलकिस केस से कम जघन्य अपराध किया है। उन्होंने कहा कि जब सरकार ऐसा फैसला लेती है, तो उससे पीड़ित की सिस्टम से उम्मीद टूट जाती है।
– 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था। इस ट्रेन से कारसेवक लौट रहे थे। इससे कोच में बैठे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी।
– इसके बाद दंगे भड़क गए थे। दंगों की आग से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई थीं।
– बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां छिपा था, वहां 3 मार्च 2002 को 20-30 लोगों की भीड़ ने तलवार और लाठियों से हमला कर दिया।
– भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया. उस समय बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं। इतना ही नहीं, उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी। बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे।
– इस घटना पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। इस मामले के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार कर लिया गया।
– इस मामले का ट्रायल अहमदाबाद में शुरू हुआ था। बाद में बिलकिस ने चिंता जताई कि यहां मामला चलने से गवाहों को डराया-धमकाया जा सकता है और सबूतों से छेड़छाड़ की जा सकती है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले को अहमदाबाद से मुंबई ट्रांसफर कर दिया।
– 21 जनवरी 2008 को स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई। स्पेशल कोर्ट ने 7 दोषियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. जबकि, एक दोषी की मौत ट्रायल के दौरान हो गई थी।
– बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी दोषियों की सजा को बरकरार रखा। 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को बिलकिस बानो को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। साथ ही बिल्किस को नौकरी और घर देने का आदेश भी दिया।
– इस मामले में जिन दोषियों को रिहाई मिली है, उनमें जसवंतभाई नाई, गोविंदभाई नाई, शैलेष भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोरधिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदाना शामिल हैं।
– दोषियों में से एक राधेश्याम शाह ने CRPC की धारा 432 और 433 के तहत सजा माफ करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। गुजरात हाईकोर्ट ने ये कहते हुए उसकी अपील को खारिज कर दिया था कि इस बारे में फैसला महाराष्ट्र सरकार कर सकती है।
– इसके बाद शाह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. उसने अपनी याचिका में कहा कि वो बिना किसी छूट के 15 साल से ज्यादा लंबे समय से जेल में बंद है।
– इसी साल 13 मई को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि अपराध गुजरात में किया गया था, इसलिए रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार ही कर सकती है।
– सुप्रीम कोर्ट ने इस पर दो महीने में फैसला लेने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों की रिहाई का फैसला लिया।