खादी सिर्फ उत्सव के लिए, तिरंगा बनेगा चाइनीज पॉलिएस्टर का
कर्नाटक के हुबली में देशभर का इकलौता ऐसा संस्थान था जिसे खादी कपड़े से तिरंगा बनाने की कानूनी मान्यता मिली हुई थी। यहां खादी कपड़े के तिरंगे हाथ से बनाये जाते थे, लेकिन अब मोदी सरकार ने देश के तिरंगा कानून 2002 में फेरबदल करके पॉलिएस्टर कपड़े से बने तिरंगों को भी मान्यता दिलवा दी है यानी अब मशीन से तिरंगा बनाया जा सकेगा।
फेडरेशन का हेड ऑफिस कर्नाटक के हुबली शहर के बेंगेरी इलाके (जिला धारवाड़) में है. KKGSS (F) की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट, खादी व विलेज इंडस्ट्रीज कमीशन द्वारा सर्टिफाइड देश की अकेली ऑथराइज्ड नेशनल फ्लैग मैन्युफैक्चरिंग यूनिट है। फेडरेशन का सेल्स आउटलेट बेंगलुरु में है।
KKGSS (F) की स्थापना नवंबर 1957 में हुई थी लेकिन संस्था ने 1982 से खादी बनाना शुरू किया। पहले यहां बनने वाले तिरंगे BIS गाइडलाइंस के मुताबिक नहीं होते थे फिर 2005-06 में इसे ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) से ISI सर्टिफिकेशन मिला और पूरे देश में तिरंगे की बिक्री के लिए अकेली ऑथराइज्ड नेशनल फ्लैग मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बना दी गई। फिर यह यूनिट राष्ट्रीय ध्वज के निर्माण केंद्र के तौर पर अकेली संस्था बन गई।
आजादी के अमृत महोत्सव और हर घर तिरंगा जैसे इवेंट्स की खबर पाकर कारखाने में काम करने वाले हजारों मजदूर खुश थे कि अब उन्हें ज्यादा काम मिलेगा, और अधिक वेतन मिल सकेगा लेकिन जब उन्हें पता लगा कि मोदी सरकार ने कानून में बदलाव करके पॉलिएस्टर तिरंगे निर्माण की मंजूरी दे दी है तो वे दुखी हो गए।
Karnataka Khadi Gramodyoga Samyukta Sangha (KKGSS) के अनुसार कारखाने में लगभग 1300 कारीगर हैं जिन्हें महीने के 4000 रुपये ही मिल पाते हैं। KKGSS के सेक्रेटरी शिवानन्द मथापति ने यहां तक कहा कि पॉलिएस्टर तिरंगे सस्ते पड़ते हैं इसलिए सरकार खादी तिरंगे नहीं चाहती तो एक बार हमसे बात तो करनी चाहिए थी हम इसका कोई हल निकालते।
दूसरी तरफ गुजरात में खादी उत्सव 2022 में मोदी जी महात्मा गांधी की नकल करते हुए चरखा पर सूत कातते हुए वीडियोग्राफी करवा रहे हैं, अब यह समझ नहीं आ रहा है कि वे खादी को वाकई बढ़ावा देना चाहते हैं या चरखा सिर्फ मार्केटिंग का एक हिस्सा है। और खुद की गांधी से तुलना करवाना चाहते हैं? बिना अंग्रेजों से टकराये कोई भला गांधी कैसे बन सकता है? अगर मोदीजी खादी को बढ़ावा देना चाहते हैं तो खादी तिरंगे निर्माण में रोड़ा क्यों अटकाया?
जुलाई में जब संस्था को तिरंगा कानून संशोधन के बारे में पता लगा तो वे निराश हो गए और उन्होंने अनेक अधिकारियों मंत्रियों को लिखित चिट्ठी भेजी लेकिन किसी ने उनकी सुनवाई नहीं की इसके बाद उन्होंने इस संशोधन को वापस लेने के लिए अनिश्चितकालीन आंदोलन किया उसका भी कोई नतीजा नहीं निकला। क्योंकि हम सब जानते हैं इस बार पॉलिएस्टर तिरंगों की भरमार थी।