आरिफ और सारस की दोस्ती को लगी सरकार की नज़र

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वैसे तो ये एक शोध का विषय था कि कैसे एक सारस और इंसान के बीच ऐसी अनोखी दोस्ती और प्रेम पनपा ! पर चलो शोध ना भी करते तो क्या वन विभाग की टीम के लिए ये बात समझनी इतनी मुश्किल थी कि सारस एक प्रवासी पक्षी है, यानि एक स्थान पर नहीं रहता, पर फिर भी लगभग साल भर से वो आरिफ़ के घर था … दुनिया के सबसे ज़्यादा ऊँचे उड़ने वाले पक्षियों में दर्ज़ है सारस का नाम , पर फिर भी वो इतना ऊँचा कभी नहीं उड़ा कि आरिफ़ को ना देख सके… वो चाहता तो आसपास कोई तालाब , नदी या झील ढूँढ लेता पर उसने आरिफ़ के घर को अपना घर बना लिया …

क़ायदे से तो उसे बीज -वीज , मछली -वछली पकड़कर खानी चाहिए थी पर वो आरिफ़ की थाली से निवाले खाता… यानी वो हर तथ्य जो उत्तर प्रदेश के राजकीय पक्षी सारस से जुड़ा है , उसने उसके विपरीत काम किया। , सिर्फ़ इसलिए कि जब सारस घायल अवस्था में आरिफ़ को किसी खेत में पड़ा मिला था तो आरिफ़ ने दिन – रात उसकी सेवा कर मौत के मुँह से निकाला और इस एहसान का बदला वो बेज़ुबा अपनी क्षमताओं के विपरीत व्यवहार कर ख़ुशी- ख़ुशी चुकाता रहा …

पर हम इंसान अपनी क्षमतायें और ताक़त कहाँ भूलते हैं !!! ख़ासकर तब जब ताक़त सत्ता में बैठी कुर्सी से मिल रही हो और ये ताक़त का ही नतीज़ा था कि सरकारी काग़ज़ लेकर आये चंद लोग उस बेज़ुबा पक्षी को आरिफ़ से दूर अपने साथ ले गये तब – जब सारस के बारे में ये बात प्रचलित है कि वो साथी के वियोग में जान तक दे देता है !

वैसे उसकी जान की परवाह है भी किसे ! यहाँ जान ही तो सबसे सस्ती है…।

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